अर्द्ध मतस्यासन
मतस्य का अर्थ मछली होता है.मतस्य आसन में शरीर को मछली के समान मुद्रा में रखकर इस आसन को पूरा किया जाता है.बैठकर किये जाने वाले आसनो में यह भी एक अच्छा व्यायाम है.इस व्यायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन आता है.इस योग मुद्रा में रीढ की ह्ड्डी, हिप्स, कंधों, पेट और गर्दन का व्यायाम होता है.
Steps
- इस योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले तो पलथी लगाकर बैठना चाहिए.
- अपने दाएं घुटनों को मोड़कर दाएं पैर को हिप्स के नजदीक लाएं.इस अवस्था में दायां घुटना छत की ओर और तलवा ज़मीन से लगा होना चाहिए.बायां पैर सीधा और ज़मीन से लगाए रखना चाहिए.
- हिप्स को थोडा नीचे की ओर दबाएं और सिर को सीधा रखे.
- दाएं हाथ को शरीर से लगाकर पीछे रखें.इस अवस्था में हथेली को ज़मीन पर फैलाकर रखना चाहिए.
- अपने बाएं हाथ को मोड़कर दाहिनी ओर लाएं.
- सांस छोड़ते हुए शरीर को दायी ओर घुमाएं.
- सिर को दायी ओर घुमाकर इस ओर देखें.इस मु्द्रा को दोनों दिशा में 5 से 7 बार दुहराएं.इस मु्द्रा के दौरान गर्दन में तनाव महसूस होने पर सिर को तुरंत सामान्य स्थिति में घुमा लेना चाहिए.
Benefits
- अर्ध मतस्यासन मेरूदंड के लिए बहुत ही लाभकारी व्यायाम है.
- इस व्यायाम के नियमित अभ्यास से मेरूदंड में लचीलापन आता है.
- यह योग गर्दन में दर्द और अकड़न को दूर करन में एवं सिर दर्द की समस्या से मुक्ति दिलाने में भी कारगर है.
- अर्द्ध मतस्यासन में पाचन अंगों का भी व्यायाम हो जाता है जिससे पाचन क्रिया सुचारू और अच्छी रहती है.
Precaution
जब आपके घुटनों, हिप्स और कंधों में किसी प्रकार का दर्द या परेशानी हो उस समय अर्ध मतस्यासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
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