अष्टांग नमस्कार मुद्रा में शरीर के आठ अंग ज़मीन का स्पर्श करते हैं अत: इसे अष्टांग नमस्कार के नाम से जाना जाता है. इस आसन का अभ्यास कैसे करना चाहिए एवं इसके लाभ हैं
Step
- टेबल के समान दोनों हथेलियों और घुटनों पर शरीर को स्थापित करें.
- केहुनियों को हल्का मोड़ें और पार्श्व भाग को थोड़ा नीचे की ओर झुकाएं.
- सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों के बीच छाती को नीचे की ओर झुकाएं.
- गर्दन को आगे की ओर खींचे और ठुढ्ढी को ज़मीन से लगाएं.
- बाजूओं को कंधे से नीचे झुकाते हुए पीछे की ओर ले जाएं.
- पैर की उंगलियों को मोड़ककर तलवे के ऊपर भाग को ज़मीन से लगाएं.
- हिप्स को छत की दिशा में उठाएं और रीढ की हड्डियों को लम्वत रखें.
- इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेंण्ड तक बने रहें.
Benefits
- यह मुद्रा पीठ और गर्दन में मौजूद तनाव को दूर करता है.
- इस आसन के नियमित अभ्यास से छाती, पीठ, कंधे और बाजू शक्तिशाली होते हैं
- इस आसन का अभ्यास शरीर को लचीला बनाए रखने के लिए भी किया जा सकता है
- इस आसन से फेफड़ों की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है.
Precaution
जब गर्दन और कंधो में तकलीफ हो उस समय इस योग मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए.कमर, कोहनी और कलाई में परेशानी की स्थिति में भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए.
Please follow and like us: