हलासन
हलासन में शरीर को हल की मुद्रा में रखा जाता है.इस आसन के लिए शरीर का लचीला होना बहुत आवश्यक होता है.इस आसन का अभ्यास किस प्रकार करना चाहिए एवं यह किस प्रकार लाभप्रद होता है
Steps
- पीठ के बल भूमि पर लेट जाएं.
- पैरों को मोड़ें और पैर की उंगलियों को सिर के पीछे ज़मीन से टिकाएं.
- पैरों को सीधा करते हुए ऐड़ियों को शरीर से दूर ले जाने की कोशिश करें.
- बांहों को ज़मीन पर टिकाए रखें.हथेलियां ज़मीन की दिशा में रहनी चाहिए.
- इस मुद्रा में 30 सेकेण्ड से 2 मिनट तक बने रहें.
- कमर पर हाथ को रखें और धीरे धीरे वापस सामान्य स्थिति में लौट आएं.
- Benefits
हलासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है. - वृद्धावस्था में हड्डियों से सम्बन्धित कई प्रकार की परेशानियों से बचने के लिए भी यह आसन बहुत ही उपयुक्त होता है.
- यह आसन पेट सम्बन्धी रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है
- तंत्रिका तंत्र एवं लीवर से सम्बन्धित परेशानियों में भी यह आसन कारगर होता है
- मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी यह आसन बहुत ही उत्तम होता है.
सावधानी
इस आसन का अभ्यास उस समय नहीं करना चाहिए जबकि आपकी गर्दन और कंधो में किसी प्रकार की परेशानी हो.हृदय रोग एवं रक्तचाप सम्बन्धी परेशानियों में भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.रजोधर्म के समय स्त्रियों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
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