आगे आने वाले blog में मई बुद्ध के ज्ञान को लिखूंगा और समझाऊंगा जिससे की हम उसे अच्छे से समझ सके और जीवन में उतार कर एक सम्यक जीवन जी सके I
बुद्ध की तीन चेतावनी :-
- क्या तुमने संसार में कभी अस्सी , नब्बे, या सौ वर्ष के बूढ़े , जराजीर्ण , झुके हुए , लाठी का सहारा लिए, लड़खड़ाते हुए पाँव वाले , शिथिल, टूटे दांत वाले, सफ़ेद बाल वाले या गंजे , झुर्रीदार चमड़े वाले पुरुष या स्त्री को नहीं देखा है ? और क्या तुम्हारे मन में यह विचार कभी नहीं उठा कि तुम्हारा भी क्षय होगा और तुम इससे बच नहीं सकते ?
- क्या तुमने संसार में ऐसे पुरुष और स्त्री को नहीं देखा , जो रुग्न व्याधि ग्रस्त और अत्यंत अस्वस्थ हो, जो अपनी ही विस्तर में लिपटा हो और जिसे कुछ लोग उठाते हो और कुछ लोग खाट पर सुलाते हो? और क्या तुम्हारे मन में यह विचार नहीं उठा कि तुम भी रुग्न हो सकते हो और तुम इससे बच नहीं सकते ?
- क्या तुमने संसार में कभी किसी पुरुष या स्त्री के शव को मृत्यु के दो या तीन दिन बाद फुले हुवे , कला या नीला और विघटित हुए नहीं देखा ? और क्या तुम्हारे मन में यह विचार नहीं उठा कि तुम भी मृत्यु या काल ग्रास बनोगे और तुम इससे बच नहीं सकते ?
बुद्ध के पंच शील :-
- हत्या नहीं करने का संकल्प लो I
- चोरी नहीं करने का संकल्प लो I
- व्यभिचार नहीं करे का संकल्प लो I
- असत्य नहीं बोलने का संकल्प लो I
- नशा नहीं करने का संकल्प लो I
बुद्ध के चार आर्य सत्य :-
- दुःख है I
- दुःख का कारण है I
- दुःख का निदान है I
- दुःख से निदान का मार्ग है I
बुद्ध के द्वारा दिए गए आठ रास्ते जिसपे हम चलकर अपने जींदगी को एक सम्यक जिंदगी बना सकते हैIइन सभी पर मैं एक एक करके लिखूंगाआगे आने वाले blog में :-
- सम्यक दृष्टि :- दुनिया को वैसा ही देखो जैसी दुनिया हैI
- सम्यक संकल्प :- सही संकल्प लेना I बदला लेने या गलत संकल्प नहीं लेना है I
- सम्यक वाणी :- जो है, वही कहना। जैसा है, वैसा ही कहना। ऊपर कुछ, भीतर कुछ, ऐसा नहीं, क्योंकि अगर तुम सत्य की खोज में चले हो तो पहली शर्त तो पूरी करनी ही पड़ेगी कि तुम सच्चे हो जाओ।
- सम्यक कर्मान्त:- वही करना, जो वस्तुत: तुम्हारा हृदय करने को कहता है।
- सम्यक आजीविका :- दूसरो को नुक्सान पहुचकर आजीविका मत कमाना I
- सम्यक व्यायाम:- अति न करना I
- सम्यक स्मृति :- सचेत रहा हमेशा I खाते- पीते, सोते- जागते, चलते कुछ भी करो aware रहो I
- सम्यक समाधि :- जीवन के यथार्थ पर ध्यान I होश में ध्यान, नशे में या बेहोशी में नहीं I
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