भुजंग का अर्थ होता है सांप.जिस प्रकार सर्प का शरीर लचीला होता है उसी प्रकार यह आसन शरीर को लचीला और फुर्तीला बनाये रखने में सक्षम होता है.इस आसन का अभ्यास किस प्रकार करना चाहिए एवं इसके स्टेप कैसे हैं I
Step
- ज़मीन पर उलटा लेट जाएं.पैर और हिप्स को समान रूप से फैलाकर रखें.
- हथेलियों को ज़मीन पर कंधों के सामने रखें.
- उंगलियों को बाहर की ओर फैलाएं, मध्यमा उंगली बीच में होनी चाहिए.
- सांस छोड़ते हुए पेड़ु को बाहर की ओर दबाएं.
- सांस लेते हुए धीरे धीरे मेरूदंड को अंदर की ओर मोड़ें.
- धीरे धीरे सिर, नाक और ठुड्डी को ज़मीन से उठाएं.सिर को छत की ओर रखकर सामने देखें.
Benefits
- भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से कमर से सम्बन्धित परेशानियां दूर होती है
- यह आसन कमर को अधिक सक्रिय और उर्जावान बनाता है
- इस आसन का अभ्यास पीठ और मेरूदंड के लिए भी लाभकारी होता है
- शरीर के ये अंग इस आसन के अभ्यास से लचीले और मजबूत होते है
- तंत्रिका तंत्र को सुचारू बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही कारगर होता है
- इस आसन से छाती फैलती है एवं श्वसन क्रिया पर इसका सकारात्मक प्रभाव होता है.
Precaution:
- अगर पीठ या कमर में किसी प्रकार की कोई परेशानी अथवा तकलीफ है तो भुजंग आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
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